छठ घाटों पर उमड़ी भीड़
बलिया। आज रविवार को कार्तिक छठ पर छठव्रतियों ने अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य देकर इस मिथक को दूर किया कि उगते सूरज का सभी नमन करते हैं डूबते का कोई नहीं यानी मनुष्य में जिसकी भावना की ऊंचाई अनंतता की ओर अग्रसर होती है उसका सभी सम्मान करते हैं जिसका भाग्य गर्त में डूबा हो होता है उसकी ओर कोई देखता तक नहीं। इस प्रकार छठ पर्व से यह प्रेरणा भी मिलती है कि किसी के अंतःकरण या वाह्यकरण पर सुख-दुख की छाया रहे तो उसका साथ निभाना चाहिए।
नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में शाम से ही झुंड की झुंड पैदल ही छठ व्रतियों के साथ श्रद्धालुओं का नदियों और तालाबों के किनारे बने छठ घाटों पर पहुंचना शुरू हो गया। छठ घाट पर पहुंच कर विधि विधान से पूजा पाठ और छठ मैया के गीतों के बीच डूबते सूर्य को व्रतियों द्वारा अर्घ्य दिया गया ।
इस पूजा में व्रतियों द्वारा अपनी मन्नत पूरी होने पर छठ पूजा में विशेष "कोशी" रखने की परंपरा का निर्वाह किया जाता है जिसमें सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घर पहुंच कर व्रतियों द्वारा छठ गीतों के साथ कोशी रखने की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है।
कल प्रातः उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ पूजा संपन्न होगी।
हजारों वर्षों से चली आ रही इस व्रत की पूजा प्रक्रिया में ब्राह्मण या पुजारी नहीं बुलाए जाते जबकि हमारे यहां छोटे से छोटे पूजा पाठ में ब्राह्मण या पुजारी को बुलाने का प्रावधान है किंतु छठ व्रत में ऐसी कोई बात नहीं।
पुलिस प्रशासन भी रहा मुस्तैद
सुरक्षा के दृष्टिगत जिले में नदियों और पोखरों पर बने छठ घाटों पर महिला पुलिस सहित पुलिस के जवान तैनात रहे , इस बीच थाना प्रभारी भी छठ पूजा घाटों का चक्रमण करते रहे।