सुपूर्द-ए-ख़ाक हुए बिठुआं निवासी हाजी रफीक अहमद

रिपोर्ट- घनश्याम शर्मा

बिठुआं ईदगाह स्थित सैयद बरहना बाबा की मजार के पास हुई जनाजे की नमाज

बेल्थरा रोड ,बलिया। उत्तर प्रदेश पुलिस से सेवानिवृत पुलिसकर्मी हाजी रफीक अहमद का उनके पैतृक गांव बिठुआं में निधन होने के बाद बिठुआं स्थित कद़ीमी कब्रिस्तान में आज सुपुर्द-ए-खाक हुए।
पिछले एक माह से बीमार चल रहे हाजी रफीक अहमद ने लगभग 70 वर्ष की आयु में पिछली रात को ही अपने पैतृक निवास पर अंतिम सांस ली। लगभग 9 वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश पुलिस मऊ से सेवानिवृत हाजी रफीक अहमद सादगी व ईमानदारी की प्रतिमूर्ति थे, अपनी कर्तव्य निष्ठा और ईमानदारी के चलते उन्होंने पुलिस लाइन को ही अपना कर्मस्थली बनाया और अन्य पुलिस कर्मियों की तरह उन्होंने कभी किसी निरीह या कमजोर को परेशान नहीं किया । अपनी ईमानदारी के चलते ही उन्होंने स्वयं को जनता से दूर रखकर अपनी सेवा पूर्ण की।
आज दोपहर 2:00 बजे के आसपास उनका शव जनाजे की नमाज के लिए बिठुआं ईदगाह स्थित सैयद बरहना बाबा की मजार के पास लाया गया जहां उनके हजारों चाहने वालों ने जनाजे की नमाज पढ़ी। 
जनाजे की नमाज के बाद उनका शव बिठुआं गांव के पश्चिम स्थित कद़ीमी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक हुआ। जहां उनके हजारों चाहने वालों ने उनके क़ब्र पर मिट्टी देते हुए अंतिम विदाई दी।
बेहद ही मिलनसार हाजी रफीक अहमद के पीछे उनकी पत्नी मेहरुन्निसा तीन पुत्र जफर आलम, नसर आलम, नजम आलम व दो पुत्री अख्तरी और मुस्तरी के रूप में भरा पूरा परिवार है।
जनाजे की नमाज के दौरान मुख्य रूप से गुलाम मोहम्मद, मसीद आलम, खुर्शीद, मोहम्मद दानिश, मोहम्मद इनाम, मुन्ना मास्टर, आतिफ जमील (जिला अध्यक्ष सुभासपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ बलिया), वामिक, फैजुल होदा, मिन्हाज आलम, जीशान अंसारी फज़ील अहमद सहित हजारों की संख्या में ग्रामवासी मौजूद रहे।
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