बलिया । वृहस्पतिवार को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिला सशक्तिकरण विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन गंगा बहुउद्देशीय सभागार कलेक्ट्रेट परिसर बलिया में अधिवक्ता परिषद काशी बलिया ईकाई एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बलिया के संयुक्त तत्वावधान में माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बलिया अशोक कुमार-सप्तम की अध्यक्षता में किया गया। जिसका संचालन सर्वेश कुमार मिश्र, सिविल जज (सी0डि0) बलिया एवं श्रीमती पूनम सिंह जिला उपाध्यक्ष बलिया ईकाई के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ जनपद न्यायाधीश अशोक कुमार-सप्तम, माननीय कुलपति डा0 संजीत कुमार गुप्ता, जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया, अपर जनपद न्यायाधीश हुसैन अहमद अंसारी, अपर पुलिस अधीक्षक अनील झॉ, अपर जनपद न्यायाधीश राहूल दुबे, सुरेन्द्र प्रसाद, अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बलिया, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती शाम्भवी यादव, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-प्रथम श्रीमती तपस्या त्रिपाठी, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-द्वितीय श्रीमती कविता कुमारी व अन्य न्यायिक अधिकारीयों के साथ अधिवक्ता परिषद काशी के प्रान्तीय कार्यकारिणी सदस्य/जिला शासकीय अधिवक्ता दीवानी न्यायालय बलिया के द्वारा मॉं सरस्वती के चित्र पर मल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित करके किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने शासन की ओर से चल रही योजनाओं, महिलाओं के सर्वागीण विकास एवं उनकी आत्मनिर्भरता पर विशेष बल देते हुये कहा कि आज मै पूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हूं कि मेरे सम्मुख बैठी मातृ शक्ति काफी सबल शक्तिशाली एवं अपने साहस के बल पर समाज के हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका का निर्वहन कर रही है। महिलाओं के सुरक्षा एवं आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए हम सभी लोग नारी शक्ति के साथ सदैव तत्पर है और रहेंगे। मिशन शक्ति इसका स्पष्ट उदाहरण है कि इस योजना के अन्तर्गत महिलाओं के सम्मान एवं सुरक्षा के लिए कृत संकल्पित है।
मुख्य वक्ता मनोवैज्ञानिक सलाहकार एवं उमंग नायक संस्था की संचालक डा. नीरू माथुर भटनागर ने महिलाओं के सशक्तिकरण विषय पर अपने उद्बोधन में कहा कि मातृ शक्ति के पास सभी गुण मौजूद है और वह वर्तमान परिवेश न्यायपालिका, कार्यपालिका एवं विधायिका के संयुक्त विचारों के आधार पर हर क्षेत्र में सक्षम, सबल एवं शक्तिशाली है लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करना भी हम मातृ शक्ति की प्रमुख जिम्मेदारी है। हम अकेले केवल अपने बल पर किसी भी क्षेत्र में अपनी प्रगति नही कर सकते जब तक हमने साथ पुरूष समाज भी मेरे साथ न रहे। मातृ शक्ति ही एवं कुशल पुरूष समाज का सृजन करती है।
अपर जनपद न्यायाधीश हुसैन अहमद अंसारी जी ने महिलाओं के शक्ति, क्षमता, एवं सामाजिक पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ आर्थिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में उसकी क्षमता का परिचय करते हुये कहा कि आज भी हम सभी को महिलाओं को सबल बनाने की जरूरत है क्योंकि यदि महिलाएं सबल होती तो किर महिला सशक्तिकरण विषय पर इतना बड़ा आयोजन अधिवक्ता परिषद बलिया एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बलिया द्वारा करने की जरूरत नही पड़ती। अमेरिका व दिल्ली से जुड़ीं वक्ता’
अमेरिका से वर्चुअल रूप में जूड़ीं डा. सुरभि पांडेय ने सभागार में मौजूद महिलाओं से संवाद किया। कहा कि हम सबको ऐसा भारत का सपना देखना है, जहां महिला पुरुष में कोई अंतर ना हो। वर्चुअल रूप से ही सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि महिलाएं लॉयबिल्टी नहीं, बल्कि एसेट्स हैं। भारत की बेटियां अब पहले की तरह नहीं रही। निश्चित रूप से बेटियों और महिलाओं में जागरूकता आयी है और उसका असर भी भारत में दिख रहा है। ग्रामीण क्षेत्र कि महिलाओं के बीच विधिक जागरुकता ज़्यादा से ज्यादा फैलाने पर ज़ोर दिया। इसके अलावा डॉ. शिक्षा चावला के एक वीडियो के ज़रिए महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के लक्षण व उससे बचाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम में महिला अधिवक्ताओं को सम्मानित भी किया गया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय व कैस्टरब्रिज की छात्राओं में महिला जागरूकता पर आधारित शानदार नाटक व अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत कर सबको प्रभावित किया।
जनपद न्यायाधीश अशोक कुमार-सप्तम जी द्वारा अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं को बताया कि यह कार्यक्रम अधिवक्ता परिषद काशी बलिया ईकाई एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बलिया के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने महिलाओं के प्रति होने वाले घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, महिलाओं के विरूद्ध विभिन्न अपराध, दहेज मृत्यु, आत्महत्या का दुष्प्रेरण, पति या पति के नातेदारों द्वारा क्रूरता महिला की लज्जा भंग करने, लैंगिक उत्पीड़न, पीछा करना, दहेज प्रतिषेध अधिनियम, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न के अलावा महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकार, गिरफ्तारी एवं बंदी महिलाओं के अधिकार सहित बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण, रख-रखाव तथा कल्याण अधिनियम के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति तक सुलभ न्याय पहुंचाना जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य है। इसी के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सभी को समान अवसर प्रदान करते हुए समाज के निर्बल वर्गों को आवश्यक विधिक सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है।
उक्त कार्यक्रम में अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष सुनील राय, महामंत्री सावन ठाकुर, संरक्षक अजय कुमार राय जी, डा. राकेश सिंह जी, प्रदीप कुमार सिंह, विनोद कुमार भारद्वाज, शासकीय अधिवक्ता फौजदारी संजीव कुमार सिंह, महिला प्रमुख शशिप्रभा पाण्डेय, पूजा गुप्ता, पार्वती गुप्ता व अनके महिला अधिवक्ताओं के साथ प्राथमिक महिला शिक्षक संघ की जिला अध्यक्ष श्रीमती अनु सिंह जी, मजुलिका द्विवेदी जी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक श्रीमती सुमिता सिन्हा जी, टी.डी. कालेज के प्राचार्य व प्रोफेसर, जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय की महिला प्रवक्ता, विद्यार्थी एवं हजारों की संख्या में महिलायें उपस्थित रही। कार्यक्रम की सफलता के लिए अधिवक्ता परिषद के प्रान्तीय कार्यकारिणी सदस्य/ संरक्षक विनय कुमार सिंह ने सभी आगन्तुक अतिथियों, मातृशक्ति एवं कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरी न्यायपालिका, जिलाप्रशासन, पुलिस प्रशासन, चिकित्सा, शिक्षा विभाग एवं मीडिया से जूड़े हुए सभी लोगों एवं अपने ईकाई के सभी सदस्यों के प्रति कृत्यज्ञता एवं आभार प्रकट किया।
उक्त आशय की जानकारी अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दीवानी न्यायालय, बलिया ने एक प्रेस विज्ञप्ति में दी है।