पयाम-ए-इंसानियत फोरम बेल्थरा रोड द्वारा जरूरत मंदों में कम्बल वितरण

बेल्थरा रोड, बलिया। ठंड के मौसम को देखते हुए ऑल इंडिया पयाम-ए-इंसानियत फोरम की बेल्थरा रोड यूनिट ने आज बेल्थरा रोड स्थित कुण्डैल ढाला पर कंबल वितरण का आयोजन किया, जहां राजमिस्त्री के साथ काम करने वाले मजदूर रोज सुबह बड़ी संख्या में जीविकोपार्जन के लिए आते हैं। इस अवसर पर 35 लोगों के बीच कंबल वितरित किए गए।
"हम सब एक पिता, आदम और एक माँ हव्वा की औलादें हैं। सभी इंसान एक समान हैं। सभी को दिन के 24 घंटे मिलते हैं। सभी को जीने का पूरा हक़ है और खाने-पीने का भी पूरा अधिकार है। सरकारें बड़े पैमाने पर लोगों के लिए जीवन के  जरुरत के सामान का इंतज़ाम करती हैं, लेकिन हिंदुस्तान की आबादी 150 करोड़ से भी ज्यादा होने की वजह से कई बार चीजें हमारे देश भारत के तमाम लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं। लोगों की भलाई का काम कई धार्मिक संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा भी बड़े पैमाने पर किया जाता है। अखिल भारतीय पयाम-ए-इंसानियत एक ऐसा मंच है जिसका मुख्यालय लखनऊ में है और यह एक ऐसी संस्था है जो मानवता के नाम पर लोगों को जोड़ने के लिए देशभर में मानवीय मूल्यों को बनाए रखने का काम करती है। बलिया और आस-पास के शहरों में इस संस्था का काम सालों से चल रहा है, हमारे बेल्थरा रोड में पहली बार इस संस्था द्वारा गरीबों में कम्बल बांटने का कार्य किया गया है, ईश्वर ने चाहा तो आगे भी इसी तरह से मानवता का कार्य जारी रहेगा।" 
यह विचार ऑल इंडिया पयाम-ए-इंसानियत फोरम बिल्थरा रोड इकाई के कार्यकर्ता मौलाना अब्दुल वासे नदवी साहब ने अपने उद्बोधन में व्यक्त किया।
इसी दौरान पयाम-ए-इंसानियत के एक और कार्यकर्ता मुहम्मद रुब्बान साहब ने कहा कि "इंसान को बनाने वाले ने सबको एक जैसा बनाया है, सभी इंसान बराबर हैं, कुछ लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और मुसलमान कहलाते हैं, वहीं कुछ लोग भगवान की पूजा करते हैं और हिंदू कहलाते हैं। कुछ लोग अमीर हैं वहीं कुछ गरीब हैं। ऊपर वाले ने पैसे वालों को आदेश दिया कि बिना किसी भेदभाव के सभी जरूरतमंदों और गरीबों की मदद किया करो। जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए हम कुछ लोगों ने अपने खर्च पर कंबल का इंतज़ाम किया और उन्हें लेकर आए हैं। इसका उद्देश्य धार्मिक या राजनीतिक नहीं है, बल्कि केवल मानवता और मानवीय संवेदना है।"
इस अवसर पर मुफ़्ती मोइन अहमद हलीमी, मुफ्ती अबसार अहमद नदवी, मौलाना शारिक नदवी, मौलाना मुहम्मद मुदस्सर कासमी, समाजसेवी झन्ने भाई और शेरू साहब आदि स्वयंसेवक मौजूद रहे।

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